क्या - क्या क़लमबद्ध करूँ?
कि जिसमें तुम पकड़ा जाओ;
और कितने व कैसे जतन करूँ
या सोचूँ कि तुम ही कभी मुझे बुलाओ।
जीवन कहूँ या पुकारूँ तुम्हें
इसके ठीक विपरीत, कोई शब्द-निशब्द;
या सिखला दो तुम्हीं मुझे अपनी ज़ुबानी
जान सकूँ बस मैं, तेरे मन का हर अलख।
तुमसे पूछूँ या खुद ही लिख डालूँ ,
विस्तारित कभी या कोई संक्षिप्त-सा उत्तर;
दे सकें पूर्ण विराम मेरे साथ तुम्हारे भी
अनगिन,अनुत्तरित प्रश्नों को क्रमानुसार।
कि जिसमें तुम पकड़ा जाओ;
और कितने व कैसे जतन करूँ
या सोचूँ कि तुम ही कभी मुझे बुलाओ।
जीवन कहूँ या पुकारूँ तुम्हें
इसके ठीक विपरीत, कोई शब्द-निशब्द;
या सिखला दो तुम्हीं मुझे अपनी ज़ुबानी
जान सकूँ बस मैं, तेरे मन का हर अलख।
तुमसे पूछूँ या खुद ही लिख डालूँ ,
विस्तारित कभी या कोई संक्षिप्त-सा उत्तर;
दे सकें पूर्ण विराम मेरे साथ तुम्हारे भी
अनगिन,अनुत्तरित प्रश्नों को क्रमानुसार।