Monday, July 9, 2012

वह मुझसे पूछता है.....


वह मुझसे पूछता है,
इक दिन, बड़े दिनों के बाद;
क्या तुम परेशान हो,
इन दिनों?

मैं घूरती हूँ,
अपनी आँखों की
परछाईयों को,
नीले दीवार पर।

एक सदी जैसा
पल गुजरने के बाद,
मैं कहती हूँ,
हाँ, शायद या पता नहीं।

फिर उस सदी जैसे
पल को पीछे भेज कर,
मैं उससे पूछती हूँ,
ऐसा क्यूँ पूछे तुम?

तुम्हारे लिखे शब्द
देखे थे मैंने,
कुछ दिनों पहले -
ऐसा कुछ वह मुझसे कहता है।

मैं हँस कर
सोचती हूँ,
क्यूँ लिख कर
ज़ाहिर होती हूँ?

और मैं फिर से किसी
गर्त में डुबकी लगाकर,
साँसों का घुटना
जारी कर देती हूँ।


4 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर......
प्यारी रचना वंदना.....

अनु

Sawai Singh Rajpurohit said...

सुन्दर रचना. ...बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
आज का आगरा

प्रवीण पाण्डेय said...

भूतकाल के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान के कहे शब्द मजाक बन जाते हैं कभी कभी।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मैं हँस कर
सोचती हूँ,
क्यूँ लिख कर
ज़ाहिर होती हूँ?

सुंदर भावभिव्यक्ति