उसका बस यही एक सपना था, सबकी तरह ही, मगर उसके अनुसार सिर्फ और सिर्फ उसी का, कि इक दिन इक राजकुमार आएगा उसकी भी ज़िंदगी में। घोड़े पे सवार होकर..... उसने ऐसा नहीं सोचा था, मगर हाँ..... वो जब आएगा तो सब कुछ बदल जाएगा..... खुशियों में..... कुछ ऐसा ही। उसके सपने को शब्दों में बयान करना शायद खुद उसके लिए भी बहुत मुश्किल था। अब तो बस वो पल ही बता सकता था कि उसका सपना क्या था? बस उस पल का इंतज़ार करते-करते उसे 32 बरस लग गए..... सिर्फ उसे ही। कहानी लिखने वाला तो उसी पल उस राजकुमार के साथ आया था, इसलिए उसका यह बता पाना कि अपने सपने का इंतज़ार करना कैसा लगता है? मुश्किल होगा। हाँ.... अगर उस पल के ठीक पहले वाले पल को महसूस भर कर लिया जाए, तो भी उस पगली के इंतज़ार को थोड़ा-बहुत समझा जा सकता है।
कहानी जारी किया जाएगा.............................
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