Wednesday, December 31, 2008

शुक्रिया तेरा...



तुम आये और तुम चले भी गए,
कितने ही रंग व सपने दे गए....
आज समेट रही हूँ सब उन लमहों को,
जिनमें जिंदगी के मायने बदल गए....
सीखा उड़ना तुमसे, जब उतरे ज़मीन पर,
तुम दूर क्षितिज में जाके कहीं ढल गए....
इक पल को ही, आना मगर मेरे चौखट पे,
हम ठीक से तेरा शुक्रिया अदा करना जो भूल गए.......

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