जीवन की तपिश में जलते हुए
तुम्हारी झलक के दो बूँद की प्यासी,
तरसती मेरी आँखें जा टिकी है,
मेरे होस्टल के सामने उसी पेड़ के नीचे,
जहाँ कभी तुमने मेरा इंतज़ार किया था.
यही सपना देखा था न,तुमने और मैंने भी.
पता है, मानसून अब आनेवाला है,
आज तो बूँदा-बांदी भी हुई है.
और अभी से मेरा मन
होस्टल के गेट पे पहरेदारी करने लगा है;
तुम्हारा रास्ता देखने के लिए तो
मेरे साथ-साथ उस पेड़ के पत्तों में
छोटी-छोटी बूँदें भी, जो तुम पर ही
बरसने के लिए जम रही है,व्याकुल होने लगे है.
देखो आधा सपना तो सच होने लगा है न,
अब तुम भी आ जाओ!
इस सपने को पूरा करने के लिए.
7 comments:
मुझे भी आपकी रचना बहुत अच्छी लगी, एक तो यह बात है कि आप वही लिख रही हो जो आपके सामने दिख रहा है ... और ये भी कि आपने उस दृश्य को बखूबी बखान किया है !
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया...अच्छा लगा कि आपको मेरी रचना पसंद आई .. उम्मीद है आप फिर आएंगे और अपनी टिप्पणियों से तथा सुझावों से नवाजेंगे...
जी हाँ, मैं IIT खड़गपुर से हूँ ... पर बटका नहीं मटका ... मुझे भी यह जानकर अच्छा लगा कि इस हिंदी ब्लॉग जगत में कोई और भी है IIT से ... आप अभी पढ़ रही हो या पढाई पूरी हो चुकी है? आपका विषय क्या है ? यदि मेरा सवाल करना अच्छा न लगे तो क्षमा कीजियेगा ...बस यूँ ही कौतुहल से पूछ बैठा ... क्या आज भीILLU उतना ही जोरशोर से मनाया जाता है ?
हमेशा की तरह आपकी कविता एक कहानी सी कहती हुयी..
once again it is fantastic,plzz dont mind hindi font nahi hai iss liye roman font use kar raha huu........Vandana u know the best thing,app bahut simple word use karti hai.........aur apki kavita jeb bhi padho legta hai ki "aree mai bhi too yahi soch raha tha,mai bhi yahi bolney wala tha" means ur expressing common people's feeling in ur simple word.............bahut khub subhanallah...............
hamesha ki tarah aap sabo ka bahut bahut dhanyawad hausla afzai ke liye.....
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ, क्षमा चाहूँगा,
ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.
लो जी हम भी आ गये :) :)
अपने अधूरे सपने के साथ :) :)
वैसे अभी खूब जम कर बारिश हो रही है और बड़ी-2 बूँदे गिर रही हैं :P
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