स्वतंत्र हो आज तुम स्वतंत्र हो...
अपनी राह चुनने को,
उसमे भटकने को भी स्वतंत्र हो.....
तुम्हे कहने की आज़ादी है,
मौन रहने को भी स्वतंत्र हो.....
ऐसा देश है मेरा, ये सोचने
और न सोचने को भी स्वतंत्र हो....
दूर देश में परचम लहराने को,
पुरखों की आँगन बेचने को स्वतंत्र हो....
सच की गवाही परखने को,
झूठ की वकालत करने को स्वतंत्र हो....
तुम नई फसल खड़ी करने को,
पुरानी जड़ों को काटने को स्वतंत्र हो....
तुम स्वतंत्रता की परिभाषा को
उलटने को, भूलने को भी स्वतंत्र हो....
स्वतंत्र हो आज तुम स्वतंत्र हो...
14 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बंदना ...ऐसी स्वतंत्रता के लिए तो...शहीद नहीं हुए थे सब..........शर्मिन्दा होने को भी स्वतंत्र हैं ...ज़मीर को जगाने के लिए भी आज़ाद हैं...कुछ तो करें कि आखिर ये भ्रष्टाचार की चादर में लिपटा देश...उठे ...खडा हो जाए...रिश्वत खोरी..लालच वगैरह को दूर फेंक कर .
अच्छी प्रस्तुति !!
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
HAPPY INDEPENDENCE DAY!
sabkuch bhulker tum kuch bhi nahi ho... sahi rachna , vande matram
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और ढेर सारी बधाईयां
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें.
सुंदर रचना. आभार. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
सादर,
डोरोथी.
Bahut sundar abhivyakti, aur main DR. Nidhi se ekdam sahmat hun.
Hame jagna hI hoga
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बेचारगी की चादर ओढ़ कर जीने से अच्छा है दीवानगी में नंगा हो के नाचना ...javab milegaa..still remember
नमस्कार....
बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में पलकें बिछाए........
आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"
इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्
1- MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......
2- BINDAAS_BAATEN: रक्तदान ...... नीलकमल वैष्णव
3- http://neelkamal5545.blogspot.com
स्वतंत्रता किसी के लिए कुछ और किसी के लिए कुछ....उम्दा रचना...
स्वतंत्रता का मतलब ये नहीं कि पोस्ट लिखने से ही गायब हो गई। स्वतंत्र होने के बाद भी कुछ नियम होते हैं जो मानने पड़ते हैं। सो पोस्ट लिखने का नियम भी मान लें।
@बोले तो बिंदास: हाँ ये नियम भूली नहीं हूँ. मगर समय और अंतर्जाल के अभाव में नियम कायम नहीं रख सकी. आगे से धयान रखेगे.....
Post a Comment