Tuesday, October 19, 2010

अजीब हो तुम भी मेरी जिंदगी.....

अजीब हो तुम भी मेरी जिंदगी,
कभी हंसाने की पुरजोर कोशिश करती है;
तो कभी मुझे रोता देख
खुद भी खिलखिलाती है.

जिंदगी तुम मेरी क्या हो?
मेरे अकेलेपन को कम करने के लिए
मेरी बन कर आई हो;
या उस समय को और भी लंबा करने आई हो
जिसमें घाव सूखने के लिए पर्पराते रहते है.

जिंदगी की शकल में कई चेहरों से
परिचित करवाती हो;
फिर आइना बन मुझे मेरी बदकिस्मती
से अवगत भी कराती हो.

जब नहीं चाहिये तो
देने को उतावली हो जाती हो;
और कुछ माँगने पर
मुझे मेरा वाला ही ठेंगा दिखाती हो.

क्या तुम्हें मेरे साथ इसी तरह
रहना अच्छा लगता है?
या मेरी हर बातों को, जिसमें सच का हो मुझे भ्रम,
उसे तोड़ना अच्छा लगता है.

तुम जो भी हो जिंदगी
कैसी भी क्यूँ न हो,
मेरे लिए अब तो
तुम ही जीने का पर्याय बन चुकी हो.

12 comments:

POOJA... said...

अजीब हो तुम भी मेरी जिंदगी,
कभी हंसाने की पुरजोर कोशिश करती है;
तो कभी मुझे रोता देख
खुद भी खिलखिलाती है.
bahut pyaari lines...

abhi said...

एक के बाद दूसरी पोस्ट..

:)

जिंदगी तो वैसे अजीब है ही, किसी के कहे मुताबिक कहाँ चलती है,

दो लाइन कह देता हूँ,

जिंदगी है अजनबी सी,
धोखे में हैं लोग सभी

Rahul Singh said...

यह नजरिया, यह मनो-मुद्रा निभ जाए तो कविता बनते क्‍या देर लगती है. कविता भी खूब निभी है.

उस्ताद जी said...

5.5/5


साहित्यिक दृष्टि से यह रचना कुछ भी नहीं.
ये कविता, नज़्म, कहानी ... किसी फ्रेम में फिट नहीं होती.
लेकिन कहते हैं कि दिल से कही बात दिल तक जाती जरूर है. बस .. जिंदगी से ये अन्तरंग संवाद भा गया.

उस्ताद जी said...

मशवरा :
पोस्ट का फांट कलर बदलिए.
बैक ग्राउंड नीला होने से पढने में दुश्वारी होती है

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

आप सबो का धन्यवाद!. उस्ताद जी आपके कहे अनुसार मैंने फॉण्ट बदल दिया है. अब आपको इतना परेशान नहीं करेगा. फिर भी अगर लगे तो फिर से कहियेगा. और आपका मूल्यांकन कुछ मुझे ज्यादा लग गया, मैं इतने के काबिल तो ज़रा भी नहीं, आपको पसंद आयी बस वही काफी है.

M VERMA said...

विसंगतियों के बाद भी सकारात्मकता अच्छी लगी.

vandana gupta said...

बस यही है ज़िन्दगी…………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

धन्यवाद वर्मा जी,वंदना जी !!

संजय भास्‍कर said...

sorry vandana ji
i m late
Beautiful as always.
It is pleasure reading your poems.

संजय भास्‍कर said...

keep writing......all the best

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

@ संजय जी : अजी देर आयद दुरुस्त आयद..... उतना फिट तो बैठता नहीं है फिर भी ये जुमला आपके लिए, ब्लॉग पर आते रहने के लिए.