खुशियों और आशाओं के नये दीप जलाने आई ये दीपावली का त्यौहार कैसे गुजर गया , पता ही नहीं चला. चलिए आपको आज आई.आई.टी. खड़गपुर में दीपावली कैसे मनाई गयी, यह दिखाती हूँ. हमारे यहाँ दीपावली के लिए तैयारी महीने-भर पहले से ही शुरू हो जाती है. यहाँ हर वर्ष छात्रावासों में रहनेवाले छात्रों के लिए रंगोली व दीप-प्रज्वलन (आम बोल-चाल में 'इलू' जो कि illumination से बना है) की प्रतियोगिता होती है. अब आप सोच रहे होगे इसमें कौन सी नयी बात है? बात है, जिसे मैं आपको छायाचित्रों के माध्यम से ही समझा सकती हूँ. तभी आप समझ सकते है कि क्यूँ हम छात्र महीने भर पहले से कमर कस लेते है. पहले आप रंगोली का मजा लीजिए--
नीचे दिए गए चित्र को देखने से पहले यह जान ले कि यह एक ही रंगोली है फर्क सिर्फ यही है कि एक हरे रंग की रौशनी में दीखती है और दूसरी लाल रंग की रौशनी में. ध्यान से देखियेगा.
नीचे रवींद्रनाथ टैगोर जी की तस्वीर व उनकी बनायीं हुई तस्वीरों को रंगोली में उकेरने की कोशिश की गयी है.
अब आपको इलू के भी कुछ चित्र दिखाती हूँ यहाँ पर, जो विभिन्न छात्रावासों में बनायीं गयी है. इसके लिए बांस से बनी लगभग १२x१२ फीट तक की चटाई का उपयोग किया जाता है. इन चटाईयों में दीयों को तार से बाँधा जाता है और मनोवांछित आकार बनाया जाता है, जिन्हें आप इन चित्रों में देख सकते है --
स्वर्ण मंदिर पर-
सिखों के दस गुरुओं पर-
महत्मा बुद्ध पर-
समुंद्र-मंथन पर-
समय-चक्र पर-
पूरी के जगन्नाथ मंदिर पर-
कुछ सजावट छाया कला पर भी देखिये--
आमतौर पर बी. टेक. के छात्र बढ़-चढ़ कर इसमें हिस्सा लेते है, उनकी तैयारी आप इन चित्रों में देख सकते है-
अब इतना देख लिए है तो हमारे हॉस्टल की तैयारी भी देख लीजिए जिसके लिए कुछ दिनों से मेरी ब्लॉग्गिंग बंद हो गई थी. हमने कोणार्क मंदिर बनाने की कोशिश की थी --
यह मैं हूँ......
दीपावली के दिन सारे दीप जलने के बाद--
मैंने कुछ ज्यादा ही फोटो लगा दिए है. कोई नहीं, आराम से देखिएगा, मगर जरूर देखिएगा.
35 comments:
zindagi bhi ajeeb hai.. dipawali ki taiyari mein blog nahi likha ..lekin ussi ki tayari se blog ki post ban gayi.. kab kiska beez kahan padta hai koi nahi janta...
bahut sunder hain saare pics.. lighting .. kaafi mehnat huyi hai.. kalatmak bana diya aap sabne ne utsav ko..mubarak ho aur ye prampara kayam rahegi umeed hai...
उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आनंद जी!
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आपको, आपके परिवार और सभी पाठकों को दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं
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और ये पोस्ट बेहद बेहद बेहद सुन्दर है
वंदना जी दीवाली की इतनी अच्छी तैयारी देखकर ही लगा की आप लोग कितने अच्छे से दीवाली मानते है क्या बाकी त्यौहार भी इसी तरह आपके हास्टल में मनाये जाते है !
एक से बढकर एक रंगोली देखकर कलाकारी और ऐसे कलाकारों को हमारी तरफ से बधाई दीजियेगा !
वंदना जी,
आपका ब्लॉग क्रोम पर बहुत अच्छा लुक देता है.फोटोस भी इस पर जल्दी लोड हो गयीं.
ये रंगोली हैं.... यकीन ही नहीं हुआ ...लगा की कैनवास पर बनायी गयी पेंटिंग्स हैं.सभी एक से बढ़ कर एक!
दीपों से कोणार्क मंदिर बनाने का प्रयास वाकई लाजवाब है .
बहुत अच्छी मनी आप की दीवाली,जान कर अच्छा लगा.मैं कभी होस्टल में नहीं रहा लेकिन शायद रहना चाहिए था.
गौरव जी, अमरजी और यशवन्त जी आप सबों को भी दीपावली कि ढेर सारी शुभकामनाएं!
पोस्ट को पसंद करने के लिए भी शुक्रिया!
अमरजी दीपावली के बाद होली का भी एक अलग ही महत्व है हमारे यहाँ, जिसमें छात्र और शिक्षक दोनों ही एक जैसे रंग में रंग जाते है. उसके बाद दुर्गा पूजा व काली पूजा इनमे भी कैम्पस में रौनक बनी रहती है. विश्वकर्मा पूजा भी बड़े धूम धाम के सभी डिपार्टमेंट में जोर-शोर से मनता है.
मगर सालभर में हमें दीपावली का ज्यादा इंतज़ार रहता है.
यशवन्त जी , यकीं मानिए. जब मैं भी पहली बार रंगोली व इलू देखी थी तो विश्वास ही नहीं हुआ था कि ये सब छात्रों ने दिन-रात एक करके बनाया है. रंगोली में मुझे ज्यादा आश्चर्य होता है, कैसे वो पेंटिंग्स के जैसे हुबहू, बालू या अबीर जो हम रंगोली में बनाने के लिए उपयोग करते है, उनसे बना लेते है.
वंदना जी हास्टल में तो कभी रहना नहीं हुआ !परन्तु क्या आप लोग त्योहारों की छुट्टियों में अपने घर नहीं जाते !
अमर जी, ऐसा नहीं है कि हम त्योहारों में घर नहीं जाते. मगर एक या दो दिन की छुट्टियों में दूर जगहों से आकर पढ़नेवाले छात्रों के लिए घर जाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. यहाँ के लोग तो आराम से घर आते जाते रहते है. वैसे भी बी.टेक. वालों को पुरे २.५-३ महीने की गर्मी छुट्टी मिलती है फिर सर्दियों में भी १ महीने की छुट्टी.
कुछ ऐसा भी कह सकते है कि कभी-कभी हम खुद ही घर जाने से बेहतर यहीं रहना पसंद करते है. आप यहाँ आकर एक जब देखिएगा इनकी लाइफ तभी आप समझ सकते है, इन्हें यहाँ रहना क्यूँ इतना पसंद है.
चूँकि मैं रिसर्च स्कोलर हूँ, सो मेरे लिए छुट्टियाँ गिन के ही है, साल में १५ दिन बस इतना ही. वह भी हमें अप्लाई करने के बाद ही मिलती है.
दूसरा काम के कारण भी हम घर अक्सर लंबी छुट्टियों में ही जाना पसंद करते है, नहीं तो न घर में मन लगेगा और न वापस आके काम में. :-)
awesome... beautiful... great...
thank you so much for sharing and providing us chance to see such classy rangolies... thank you so much once again...
वंदना ,
बहुत गज़ब कि दीपावली है यह तो ..सच ही बहुत टाइम लगता होगा इसे बनाने में ...दिए तो जल्दी ही बुझ जाते होंगे ...इतनी मेहनत और ...
रंगोलियों ने मन मिह लिया ...बहुत सुन्दर कला का प्रदर्शन ....इतनी अच्छी जानकारी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ..
संगीता जी और पूजा आपका ब्लॉग में आने के लिए और पोस्ट की सराहना के लिए बहुत- बहुत धन्यवाद.
साथ ही दीपावली की शुभकामनाएं भी!
जी हाँ संगीता जी इसमे मेहनत तो बहुत लगती है.अक्सर तार से हाथ के कटने-छिलने का बहुत अंदेशा रहता है. अंतिम दिन तक तो सबके हाथ में पट्टियाँ बंधी दीखती है. मगर एक सुकून जो उसको पूरा करने में मिलता है उससे बढ़कर और कोई चीज़ नहीं.
6/10
यह नयनाभिराम रंगोली यात्रा बहुत अच्छी लगी.
दीपावली का वास्तविक आनंद तो आपने ही लिया बाकी हम लोग तो धूम-धडाका ही करते रह गए :)
आप लोगों ने बहुत मेहनत से रंगोलियाँ तैयार कीं. ये यादें अनमोल हैं जो हमेशा आपके साथ रहेंगी.
वंदना जी ,
आपकी यह पोस्ट मेरे मन मस्तिष्क पर छा गयी है ...आज भी इसे बहुत बारीकी से देखा है ...हांलांकि मैं साप्ताहिक काव्य मंच चर्चा मंच के ब्लॉग पर प्रस्तुत करती हूँ ...ल्र्किन मैंने इस ब्लॉग का पता अपने अन्य पढ़ने वालों को देना चाहा है ..इस लिए कल के चर्चा मंच पर आपके ब्लॉग का लिंक लिया है ...आप भी ज़रूर अपनी प्रतिक्रिया दें .....
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 16 -11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...
कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
संगीता जी, आपने चर्चा मंच पर मेरी इस पोस्ट को विषय वस्तु से अलग होते हुए भी शामिल किया है. यह जानकर बेहद खुशी हुई. उससे भी ज्यादा खुशी इस बात की है कि इन छात्रों के मेहनत को एक बड़े मंच पर आने का मौका मिला है. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
वंदना जी!
वैसे तो आप की सभी पोस्ट्स बहुत अच्छी हैं पर मुझे लगता है की ये पोस्ट सबसे ख़ास और बेहतरीन है जिसे हर कोई बार बार देखना और दिखाना चाहेगा.
जी हाँ मैंने अपने ब्लॉग का Background Track चेंज कर दिया है.अगर आप चाहें तो मेरी पसंद के कुछ audios - videos इस लिंक पर देख सकती हैं-
http://yashwantrajbalimathur.blogspot.com
सादर
यशवन्त
(yashwant009@gmail.com)
बहुत खूबसूरत चित्र ...इन पर की गयी मेहनत वाकई तारीफ़ मांगती है ...
मदर टेरेसा और जसोदा -कृष्ण का चित्र मुझे बहुत पसंद आया ..!
बेहद ख़ूबसूरत चित्र..और कला.
अगर आज ये ना देखा होता तो लगता कुछ देखा ही नही……………बेहतरीन प्रस्तुति………………इससे शानदार क्या होगा………………बहुत पसन्द आया ये अन्दाज़्।
वाह मज़ा आ गया इस रंगोली को देख कर और बछो के इस सुन्दर मनभावन प्रयाश को.. जो कि दीप्त होते ही सब को लुभा गया होगा...जब हम ही यहाँ पर ठगे से खड़े है इतना सुन्दर देख कर खुच बोलते नहीं बन रहा है.. ..धन्यवाद संगीता जी को और वंदना जी को..
वंदना जी ! मैं तो कुछ कहने की स्थिति में ही नहीं हूँ .बस आँखें फाड़ फाड़ कर रंगोली ही देख रही हूँ .बहुत आभार आपका इतनी सुन्दर पोस्ट लगाने का.
awesome post!!!!
deepawali ka yah andaaz bada vishisht laga!!!
बहुत अच्छी लगी आपकी ये प्रस्तुति...आज मैंने आपके इस ब्लॉग की प्रस्तुति को कई लोगो को दिखाया और सब आप की इस प्रस्तुति पर दांतों तले ऊँगली दबा रहे थे.
धन्यवाद आपका और चर्चा मंच से संगीता जी का जिन्होंने आज आपकी इस प्रस्तुति से रु-ब-रु करवाया.
wow ! un khoobsurat dino ki yaadein taza ho gayi .....
@ उस्तादजी,वाणी जी, अविनाश जी, वंदना जी, नूतन जी, शिखा जी, अनुपमा जी, अनामिका जी और अजय..... आप सबों का बहुत-बहुत धन्यवाद पोस्ट को सराहने के लिए और उत्साहवर्धन के लिए भी.
वंदना जी,
सबसे पहले तो इस अद्दभुत प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद और बधाई .....क्या कहूँ कितनी मनोहारी है यह पोस्ट आपकी बहुत देर से देख रही हूँ सबकुछ बहुत बहुत अच्छा लगा रंगोलियों में तो सभी की सभी गज़ब की है
अद्भुत ,सुन्दर कला का बेजोड नमूना पेश किया है। हमारे देश मे प्रतिभाओं की कमी नही बस उत्साहआउर प्रेरणा की , और कला को मंच मिलने की जरूरत है। सभी कलाकारों को बहुत बहुत बधाई। हर तस्वीर लाजवाब है। बधाई और आशीर्वाद।
बहुत सुन्दर ब्लाग , ख़ूबसुरत पोस्ट्स,बधाई।
अनोखी ओर अद्भुत रंगोलियां...
विस्मयकारी दीपसज्जा...अभिभूत हूं, विस्मित हूं...यह सब देखकर।
बहुत बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं।
देर से देखा .. पर देख लिया चित्रों को. बेहद खूबसूरत हैं. कितना सुन्दर पल निर्मित किया आप लोगों ने वाह!
बहुत खूब
रंगोली देखकर मन प्रसन्न हो गया. बिलकुल नया अन्दाज
मैं इतने दिनों तक क्यों नहीं आया इस ब्लॉग पे???ये मैं अब सोच रहा हूँ...
क्षमा चाहता हूँ आपसे..
तस्वीरें देख के दिल एकदम खुश हो गया, फिर से एक बार देखने जा रहा हूँ...
:)
आप सबों का बहुत- बहुत धन्यवाद इस पोस्ट को पसंद करने के लिए और साथ ही साथ हम छात्रों को बढ़ावा देने के लिए.
अभि जी मैं भी यही सोच रही थी कि आप इतने दिनों से कहाँ गुम हो गए थे. अच्छा हुआ कि आये तो सही. देर आयद दुरुस्त आयद.
बहुत सुन्दर कला का प्रदर्शन मन प्रसन्न हो गया
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