Thursday, March 8, 2012

इक ही रंग.....


मैं तुम्हें सिर्फ
इक ही रंग
दे सकती हूँ।

तुम जब भी
अपने गालों को छुओगे,
देखना, कुछ प्यार-सा रंग
हाथ में भी आ जाएगा।

जो आँखों से छलके
अपनों से दूरियों का एहसास,
ममता के रँग में रँगा
इक आँचल तुम्हें हवा कर जाएगा।

जो होगे कभी
यूँ ही उदास तुम,
यह भी दुख की स्याही से
लिखा हुआ कोई अक्षर
बन जाएगा।

जो कभी द्वेष मन में सँजोये,
उद्वेलित होने लगो तुम,
तो यह भी क्रोध के तम में
जलकर आग बन जाएगा।

तुम जिस भाव से
इसे लगाओगे,
उस भाव में निहित
रँग ही बस
उभर कर आएगा।

इसलिए हाँ !
मैं तुम्हें सिर्फ
इक ही रँग
दे सकती हूँ।

15 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुंदर रंग है आपके पास ... और हर एक को इसी रंग की चाहत ...

होली की शुभकामनायें

प्रवीण पाण्डेय said...

मन के रंग कोउ न जाने,
सब अपना अन्तर पहिचाने..

Akhil said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..

आनंद said...

बेहतरीन रंग संयोजन है आपका ...जोकि रंग पर नहीं बल्कि लगवाने वाले के भावों पर निर्भर है !

Yashwant R. B. Mathur said...

जो कभी द्वेष मन में सँजोये,
उद्वेलित होने लगो तुम,
तो यह भी क्रोध के तम में
जलकर आग बन जाएगा

बेहतरीन पोस्ट।

होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

सादर

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत खूबसूरत रचना....
life is beautiful....and so is ur poetry....

regards.

Saras said...

प्रेम के विविध रंगोंको बहुत ही खूबसूरतीसे उकेरा है आपने ....बहुत प्यारी रचना

Rahul Ranjan Rai said...

nice to see ur blog n ur beautiful work! keep it up//
regard

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बड़ी प्यारी रचना...
होली की बधाईयाँ...

मेरा मन पंछी सा said...

bahut hi sundar or pyari rachana hai..

Yashwant R. B. Mathur said...

आपको नव संवत्सर 2069 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

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कल 23/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

thanx yashwant.....

is post ko shamil karne ke liye bahut bahtu dhanyawad.

waise main ab bhi kisi bhi blog par comment nahi kar pa rahi hun.

Madhuresh said...

"तुम जिस भाव से
इसे लगाओगे,
उस भाव में निहित
रँग ही बस
उभर कर आएगा।"


सुन्दर अभिव्यक्ति!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

वंदना,
रंग दीनी....
ऐसा चढ़ा है के उतरा नहीं!!!
आशीष
--
द नेम इज़ शंख, ढ़पोरशंख !!!

Santosh Kumar said...

ये एक रंग अनमोल है.. सभी रंगों पर भारी पड़ता हुआ.

सुन्दर अभिव्यक्ति.