Friday, August 20, 2010

A memory of good time.....


इन वादियों में मन खुद बंध कर रह जाता है,
या कुछ जकड़न बहुत दूर तक साथ निभाती है;
चलो आज फिर बाँध दो मुझे इन वादियों के संग,
मुझे इन सबकी याद अब बहुत सताती है.

12 comments:

एक बेहद साधारण पाठक said...

वाह ... क्या बात है , अच्छी रचना है
चित्र भी बड़ा अद्भुद चुना है
इस पर क्लिक करने पर और भी प्रभावी लग रहा है

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

गौरव जी यह चित्र पिछले साल sandakphu पर ली गयी थी.काफी दिनों बाद इन्हें देख रही थी तो वहाँ की याद आ गई. sandakphu में लिए गए सभी चित्रों में यह मुझे बहुत पसंद है. आपको कैसी लगी?

एक बेहद साधारण पाठक said...

सच कहूँ इस चित्र को देख कर बहुत सुन्दर सा एहसास होता है इसे मेरे जैसे अल्प ज्ञानी शब्दों में नहीं बाँध पाते
फिर भी कोशिश करता हूँ इस चित्र को देख कर बनी मेरी सोच का एक हिस्सा लिख रहा हूँ जो इन कंटीले तारों के सम्मान में हैं

देख कर कंटीली तारें
एहसास था कुछ बंधन सा
फिर मन कहता है
ये प्रतीक है अनुशासन के
सीमा पार न करना नियमों की
जैसे कह रहे हैं आपसे
की हम खड़े है ना
सुरक्षा में आपकी
दिखने में कुछ
कठोर है तो क्या हुआ
होना पड़ता है कभी कभी
ताकि इस प्रक्रति का
आंनंद उठायें सभी
फिर भी उन्मुक्तता की अति
क्यों चाहती है मानव मति
ये तारें देख अनुशासन की याद
मन में भर आयी है
कह रहे है जैसे
रुको वहीं, आगे खाई है

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

आप तो बस अल्प ज्ञानी ही ठीक है......ऐसे में ऐसे है तो, जब ज्ञानी होते तो कैसे होते........लाजवाब कविता रच डाली आपने..... मान गए.......!

संजय कुमार चौरसिया said...

bahut hi sundar prastuti,
kam shabdon main sundar varnan

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

अनिल कान्त said...

गहरे भाव हैं.....मन के जो हैं
:-)

Babulal said...

Hi...nice creativity...keep going. All the best.

अनिल कान्त said...

waise header wala photo bada achchha lag raha hai

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

अनिल जी पसंद करने के लिए शुक्रिया..... सच कहूँ आपकी तरफ से इस तस्वीर की बड़ाई सुन कर मन बाग़-बाग़ हो रहा है. ;-)

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

अभी तो हेडर तस्वीर की ही तारीफ़ें कर लूं.. इन्हीं वादियों से वापस जकड जाना चाहती हैं आप? :)

kidding.. sundar lines..

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

जी हाँ पकंज जी, आपने बिलकुल सही पहचाना.....इन्हीं वादियों में बस इन्ही में.....खो जाने को मन करता है......

एक बेहद साधारण पाठक said...

वंदना जी,
नए फोटो और नयी रचना का इन्तजार हो रहा है
कब मिलेगी नयी पोस्ट देखने और पढने को ??? :)