
उड़ते हुए परिंदों को रोक कर
हमने पूछा था एक बार-
हमको भी उड़ना सिखा दो,
गगन में चलना सिखा दो,
यूं चहकना, फड़कना सिखा दो,
उड़ते हुए परिंदों को रोक कर
हमने पूछा था एक बार....
धूप में जलते हुए भी हँसना सिखा दो,
वो अपने से बडे विशालकाय
उस गिध्द की नज़रों से बचना सिखा दो,
वो ऊँचाइयों से नीचे उतरना सिखा दो,
उड़ते हुए परिंदों को रोक कर
हमने पूछा था एक बार....
वो सर्द हवाओं को झेलना सिखा दो,
वो हर मौसम में मुस्कुराना सिखा दो,
वो बिन दानों पे भी जीना सिखा दो,
उड़ते हुए परिंदों को रोक कर
हमने पूछा था एक बार....
वो डर के भी निडर बनना सिखा दो,
चाहे हो वो ऊँचा पर्वत या कोई समंदर
हर मुश्किल से लड़ना सिखा दो,
कि हमको भी अपनी तरह जीना सिखा दो,
उड़ते हुए परिंदों को रोक कर
हमने पूछा था एक बार....