@ गौरव जी सिर्फ मैं और मेरी सहेली ही रिसर्च स्कॉलर है , बाकि तो बी. टेक. के बच्चे लोग है. वहाँ घूमते समय तो बहुत मन किया था लिखने का. मगर हमें कम सामान लेकर ऊपर चढ़ना था, हालांकि मैंने अपनी डायरी व कलम मेरे एक मित्र को साथ रखने को दिया था, मगर महानुभाव ने उसे नीचे में ही छोड़ दिया. ऊपर कहीं भी ऐसी जगह नहीं मिली कि कागज-कलम मिल जाते. और वैसे भी सुबह से शाम चलना ही होता था, तो कुछ लिखा नहीं. ये आपके दो प्रश्नों के जवाब है, बाकी के दो प्रश्नों का जवाब भी समझ गए होगे......
जरूर से उत्तर दूंगी. वो क्या है ना आपके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए मुझे अपने संदूक में रखे अपने दिमाग से सलाह लेनी होती है. बस अभी एक सुबह का नजारा देख के आती हूँ. वैसे भी सप्ताहांत है सो आज तो ब्लॉग्गिंग की ही जय-जय होने वाली है.
गौरव जी ... बी.टेक. के बच्चो से मेरा मतलब उनकी परिपक्वता से तो बिलकुल भी नहीं था. उम्र में छोटे है तो बच्चे समान ही है.और उनको पढ़ाते -पढाते कुछ वैसा ही फीलिंग आ गया है. या हम बुढ्ढा गए है लगता है!! ;-)
21 comments:
खूबसूरती को बहुत सुन्दर कैद किया है
संजय जी, बल्कि ये कहिये कि इस की खूबसूरती ने हमें अब तक कैद कर रखा है.
वाह बेहद खूबसूरत नजारे हैं .....
बधाई आपको जो आप इन तक पहुँच पायीं .....!!
Really amazing collection of photos ......
Thanks and congratulations..
तो ये सब भी आपकी तरह रीसर्च स्कोलर हैं ?? :)
यहाँ घुमते समय कोई रचना बनायी थी ?? :)
अगर हाँ तो कौनसी ??? :)
क्या प्रकाशित की जा चुकी है?? :)
हाँ .... चार सवाल हो गए.. बाकी बाद में :))
@ गौरव जी सिर्फ मैं और मेरी सहेली ही रिसर्च स्कॉलर है , बाकि तो बी. टेक. के बच्चे लोग है. वहाँ घूमते समय तो बहुत मन किया था लिखने का. मगर हमें कम सामान लेकर ऊपर चढ़ना था, हालांकि मैंने अपनी डायरी व कलम मेरे एक मित्र को साथ रखने को दिया था, मगर महानुभाव ने उसे नीचे में ही छोड़ दिया. ऊपर कहीं भी ऐसी जगह नहीं मिली कि कागज-कलम मिल जाते. और वैसे भी सुबह से शाम चलना ही होता था, तो कुछ लिखा नहीं. ये आपके दो प्रश्नों के जवाब है, बाकी के दो प्रश्नों का जवाब भी समझ गए होगे......
@ बाकि तो बी. टेक. के बच्चे लोग है
हे इश्वर ....आपको किसी की डिग्री से परिपक्वता का ज्ञान होता है क्या ?? :)
तदबीर से तकदीर का आलम ... खूबसूरती से खूबसूरत वादियों का सफर ..वाकई खूब!!!
awesome pics....
mann kar raha hai abhi nikal jaun wahan ke liye....
aur main bhi ek bachaa hi hoon....
B.Tech wala bachha...hahahha....
कॉलेज के दिनों की याद करा दी आपने ....
खूबसूरती से क़ैद किया है दृश्यों को ....
ऐसे जगहों पे मुझे जाना है..अभी तक नहीं गया..:(
तस्वीरें देख के दिल और जाने के लिए उतावला हो रहा है...
Really beautiful :)
सभी को धन्यवाद! शेखर और अभि जी बस निकल जाईये , सोचने में समय मत बर्बाद कीजिये!!!!!!!!!!!!
मेरे यहाँ पूछे गए प्रश्न का उत्तर देना है और मेरी नयी पोस्ट भी पढनी है [टिप्पणी इच्छा हो तो करें ...जरूरी नहीं ],ये दो असाइंमेंट हैं आपके आज के
जरूर से उत्तर दूंगी. वो क्या है ना आपके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए मुझे अपने संदूक में रखे अपने दिमाग से सलाह लेनी होती है. बस अभी एक सुबह का नजारा देख के आती हूँ. वैसे भी सप्ताहांत है सो आज तो ब्लॉग्गिंग की ही जय-जय होने वाली है.
शुभ प्रभात :)
@मुझे अपने संदूक में रखे अपने दिमाग से सलाह लेनी होती है
दिमाग संदूक में काहे रखा है ?? फ्रिज में रखना चाहिए , ताजा तो रहता :))
गौरव जी ... बी.टेक. के बच्चो से मेरा मतलब उनकी परिपक्वता से तो बिलकुल भी नहीं था. उम्र में छोटे है तो बच्चे समान ही है.और उनको पढ़ाते -पढाते कुछ वैसा ही फीलिंग आ गया है. या हम बुढ्ढा गए है लगता है!! ;-)
वाह ... क्या कहने
बहुत खूबसूरत दृश्यों को संजो कर लायी हैं आप.
बेहतरीन
झरोखे से झाँकते बच्चे और बिल्ली वाला चित्र तो मैनें डेस्कटाप पर लगा लिया है.
पिण्डारी ग्लेशियर मस्त लग रहा है।
इसी के साथ कफनी ग्लेशियर भी है। पिण्डारी-कफनी को जुडवां भी कहा जाता है।
जी हाँ! आपने सही कहा, मगर समय की कमी के कारण कफनी की तरफ जाना नहीं हो पाया. शायद फिर कभी मौका मिले तो जाना जरूर होगा.
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