Sunday, August 23, 2009

तस्वीर तुम्हारी.....

तस्वीर तुम्हारी आज भी
मन में उकेरती हूँ.
आड़ी-तिरछी नज़रों से तेरी
तेरी ही छवि बनाती हूँ.

थोड़ा प्यार का रंग
पहले उसमें उड़ेलती हूँ.
फिर थोड़े-से नाराजगी से
भी तुमको रँगती हूँ.

चंद खिलखिलाहट भी
तुम्हारी भर देती हूँ.
कुछ चुप्पी तुम्हारी
साँसों में घोल लेती हूँ.

फिर लौ तुम्हारी आँखों की
मन के दीये में सुलगा लेती हूँ.
कुछ सपने अनकहे तुम्हारे
लोरी की भांति सुना देती हूँ.

कुछ क्षण तन्हाई तुम्हारी
तन में लपेट लेती हूँ.
कुछ बूँद तेरी यादों की
तकिये में छुपा लेती हूँ.

हाँ! तस्वीर पूरी करने की
भरसक यत्न करती हूँ.
फिर भी तेरी इक झलक को
पल-पल तरसती हूँ.

7 comments:

Vipin Behari Goyal said...

कुछ क्षण तन्हाई तुम्हारी
तन में लपेट लेती हूँ.
कुछ बूँद तेरी यादों की
तकिये में छुपा लेती हूँ.

बहुत सुंदर

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

dhanyawad vipinji!

M VERMA said...

कुछ बूँद तेरी यादों की
तकिये में छुपा लेती हूँ.
संवेदनाए गहरी है. भाव संयोजन सार्थक है और अभिव्यक्ति का स्तर खूबसूरत है.
बहुत अच्छी कविता के लिये बधाई.

Vinay said...

सुन्दर अति सुन्दर
---
'चर्चा' पर पढ़िए: पाणिनि – व्याकरण के सर्वश्रेष्ठ रचनाकार

Ajay Gautam said...

kuchh dard hai yar.. very good !

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

verma ji , vinayji aur ajay ....... aap sabon ka shukirya blog me aane ke liye....

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छी कविता के लिये बधाई.