Friday, January 23, 2009

फिर यही वक़्त आएगा..



सुनो तुम आज जो
जा रहे हो अपने रास्ते,
बीच राह में अकेले छोड़े जा रहे
हो न जाने किसके वास्ते.
देखना इक दिन
यही वक़्त घूम के फिर आएगा,
मेरी तरह जब
तू भी अकेला रह जायेगा.
तब शायद सुन सको
इस मन की टूटन को,
पर चाह कर भी तोड़ न सको
जो भूले आज इस बंधन को.
इसलिए डर कि जिस दर्द को
आज तू देखना भी न चाह रहा है,
कल तू भी गुजरेगा इस पल से,
आज जिसमें मेरा दम घुट रहा है.

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