Tuesday, January 19, 2010

मुझे इतना प्यार न करे.....

हर पल, हर क्षण
तुम्हारी याद से मैं
लड़ती रहती हूँ;
कई बार विनती भी
कर चुकी हूँ मैं.

कि मुझे नहीं सुनना
अब तुम्हारी बातें;
तंग आ चुकी हूँ मैं
बार-बार यही दोहराते.

हर बार तुम मुस्काते-से
नज़र आते हो;
हर बार तुम्हारी महक
फ़ैल सी जाती है जैसे.

हर बार गालों को थपका
चुपके-से तुम भाग जाते हो;
हर बार तुम्हारी आह्ट पर
मैं खिल से जाती हूँ जैसे.

नहीं, मुझे और नहीं
लुका-छिपी तुमसे है खेलना;
नहीं, मुझे और नहीं
सपने में तुम्हें ही है देखना.

इसलिए, कह दो अपनी यादों से
मुझे इतना प्यार न करे,
जितना तुम मुझे
कभी कर न सके.

8 comments:

अनिल कान्त said...

kya khoob aapne ehsaas ko shabdon ka rup diya hai...
Mashaallah !

Ajay Gautam said...

good one ..keep it up !

Unknown said...

very nice post!!!!!

Dash said...

God post ...:)

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

संजय भास्‍कर said...

मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!
aapki tareef ke liye

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

thnax to all!!!!!

संजय भास्‍कर said...

very nice post!!!!!