आज फिर एक बार २६/११ था;
आज फिर एक इमारत ढही है,
ताज न सही, मन ही था मेरा.
आज फिर मरे है कई जज्बात,
इस मलबे की ढेर में अब भी
कई तड़प रहे होगे.
आज उसका फोन आया था,
साथ में न ख़तम होनेवाली
उसकी चुप्पी.
दोनों का बड़ा गहरा
असर पड़ा है.
मेरे मन में कई क्षत-विक्षत
सपने, कुछ अधमरे-से भी
अब भी वक़्त की गिरफ्त में
लाचारगी-से मौत की राह पड़े है.
अंतर बस यही है कि,
इस अंदरूनी नुकसान से
बाहरी जीवन पर
कोई असर नहीं दीखता है.
अंतर बस यही है कि
इसका मातम मनानेवाला
और कोई भी नहीं,
आज सिर्फ मैं ही रोई हूँ.......
आज फिर एक इमारत ढही है,
ताज न सही, मन ही था मेरा.
आज फिर मरे है कई जज्बात,
इस मलबे की ढेर में अब भी
कई तड़प रहे होगे.
आज उसका फोन आया था,
साथ में न ख़तम होनेवाली
उसकी चुप्पी.
दोनों का बड़ा गहरा
असर पड़ा है.
मेरे मन में कई क्षत-विक्षत
सपने, कुछ अधमरे-से भी
अब भी वक़्त की गिरफ्त में
लाचारगी-से मौत की राह पड़े है.
अंतर बस यही है कि,
इस अंदरूनी नुकसान से
बाहरी जीवन पर
कोई असर नहीं दीखता है.
अंतर बस यही है कि
इसका मातम मनानेवाला
और कोई भी नहीं,
आज सिर्फ मैं ही रोई हूँ.......
7 comments:
"आज फिर एक बार २६/११ था....."
"झूठ का चश्मा..... "
तुम्हारी झूठ की दास्तान
अकेली हूँ, अलग हूँ, मगर मजबूर नहीं...
काँच की कटोरी.....
मुझको भी बना दो अपनी तरह.....
सुबह-सवेरे ही.....
तस्वीर तुम्हारी.....
तेरे नैना.....
बादल भी रोने लगे...........
all these poems are from you,all are realy wonderfull,vinay gg ke sabdo me "BAHUT HI UMMDA RACHNA" and mam ur realy multy talenetd,haar kavita dil ko chuu gayee............thanks for this site bahut dino ke baad kuch bahut accha padhne ka mauka mila........hope abhi bahut kuch accha aana baki hoga.........waiting for some new poems.................
hey rajeev, thanx for visiting my blog.. n thanx for appreciating my poems too.... :)
व्यक्तिगत अनुभूतियों के दायरे का समाज के बृहत्तर परिप्रेक्ष्य में दाखिल होना अच्छा लगा ! कैनवास के विस्तार का सूचक !
really touching.. i was in taj and left 10 minutes before attack ..
अमरनाथ जी धन्यवाद ब्लॉग में आने के लिए व सराहना के लिए भी!
राठौर जी, आप सकुशल वहाँ से निकल आयें, आप बहुत ही भाग्यशाली है. ऊपर वाला कोई होता होगा तो उससे मैं जरूर कहूँगी आपको ऐसे ही बचाए रखे बुरा बला से. या ये जरूर कहूँगी कि ऐसी स्थिति ही न आयें, जो हमें अपने भाग्य को आजमाने की इस तरह से जरूरत महसूस हो.
duao ke liye shukriya... lekin jab koi jeene ki dua deta hai to mujhe apni baat yaad aa jaati hai.
jeene ki saza mat do..marne ki dua de do...
hahha..main aisa hi hoon..
kaash main vahan hota..
do ko bachata ..do ko le mara hota...
फिर तो दुआ करुगी कि ऐसी सोच सबको मिले, फिर कोई मारनेवाला ही नहीं रहेगा.
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